बेल:आरोग्य का खजाना-
-- ग्रीष्म ऋतु में बेल के फल का महत्वपूर्ण स्थान है।अनेक व्यक्ति गर्मियों में नियमित रूप से इसके रस का सेवन करते हैं.
-- कलमी,सुपक्व,मधुर बेल के गूदे को सुबह मिट्टी के बर्तन में रखकर पानी डाल दिया जाता है।तीन-चारघंटे में पानी बहुत ठंडा हो जाता है.पानी में बेल के गुदे की मिठास,रंग,स्वाद और सुगंध का पूरा प्रभाव उतर जाता है.इस पानी का सेवन स्वास्थ्यवर्धक है.
-- साधारण आहार के अलावा बेल के गुदे में एक विशेष धातु के गुण होते हैं।
-- छाल और पत्तों के रस का जहाँ औषधियों में प्रयोग होता है,वहीं कच्चे फल के गुदे का अग्नि और मिटटी के साथ अथवा सूखे गूदे को कांजी के मिश्रण के मध्य रूप में प्रयोग किया जाता है।
-- बेल के वृक्ष के मुख्य अवयव जड़ के निकट की छाल काप्रसिद्ध मिश्रण "वशमूल" में उपयोग किया जाता है.
-- बेल के जड़ की छाल त्रिदोषनाशक (वात-पित्त-कफ),मीठी व हल्की होती है।बेल भारी,मल को बांधने वाला तथा पेट कीअग्नि को तीव्र करने वाला होता है।पका फल भारी,मीठा,तीखा,गर्मी बढाने वाला तथा त्रिदोषनाशक होता है.
-- कच्चे बेल की सूखी गिरी को कांजी में भिगोकर सेवन करने से चेहरे पर तेज आता है और दिल की बीमारियों में भी फायदा होता है.
-- तेज बुखार में बेल के पत्तों को पीसकर सिर पर लेप करना फायदेमंद होता है।
-- बुखार तथा साँस के रोगको नियंत्रित करने के लिए बेल के जड़ की छाल का काढा पिलाना लाभप्रद होता है।
-- तेज बुखार को कम करने के लिए बेलपत्र का काढा या बेलपत्र को पानी के साथ देना हितकर होता है.
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