Sunday, May 18, 2008

कपूर:रोग भगाए दूर

कपूर एक बहुउपयोगी पदार्थ है।इसका उपयोग पूजन में अग्नि प्रज्वलित करने के लिए किया जाताहै,किंतु यह सेहत के लिए भी अत्यन्त लाभकारी है.
घरेलू औषधि के रूप में कपूर अनेक प्रकार से प्रयोग किया जाता है:-

  • कपूर को सरसों के तेल में मिलाकर कुछ देर धूप में रख दें।थोडी देर बाद यह तेल शरीर पर मलें,मांसपेशियों का दर्द,गठिया में आराम मिलता है.
  • दाद,खुजली,फोड़ा-फुंसी आदि पर कपूर का अर्क लगाने से लाभ होता है।
  • जुकाम,तेज खांसी,मूर्छा,क्षय आदि रोग हों तो कपूर सून्घायें।
  • श्वास रोग में बलगम निकालने के लिए कपूर का उपयोग किया जाता है।
  • कपूर को टूथपेस्ट और दंत मंजन में भी मिलाया जाता है.

Friday, May 9, 2008

नीम:आरोग्य का खजाना

नीम अत्यन्त उपयोगी वृक्ष है। यह जड़ से लेकर फूल-पत्ती,तने और फल तक सभी औषधीय गुणों से परिपूर्ण वृक्ष है.आइये जाने कि किस प्रकार नीम के सभी अंग हमें लाभ पहुँचाते हैं:-
जड़ - नीम की जड़ को पानी में उबालकर पीने से बुखार दूर हो जाता है।
छाल-नीम की छाल पानी में घिसकर फोड़े-फुंसियों पर लगाने से वे ठीक हो जाते हैं।छाल को जलाकर उसकी राख में तुलसी के पत्तों का रस मिलाकर लगाने से दाग तथा अन्य चर्म रोग ठीकहोते हैं।इसमें दोगुना पिसा सेंधा नमक मिलाकर मंजन करने से पायरिया,दांत-दाढ़ का दर्द आदि दूर हो जाता है.
पत्तियां-नीम की कोमल नई कोपलों को दस-पन्द्रह दिन तक रोज चबाकर खाने से रक्त शुद्ध होता है।फोड़े-फुंसी आदि चर्म विकार नहीं होते.
दातुन-इससे मसुडे मजबूत बनते हैं तथा मुंह से दुर्गंध आना बंद हो जाता है।
फूल-नीम का फूल तथा निबोरियाँ खाने से पेट के रोग नहीं होते।
निबोरियाँ-निबोरी नीम का फल होता है.इससे तेल निकला जाता है.आग से जले घाव में इसका तेल लगाने से घाव बहुत जल्दी भर जाता है.

Thursday, May 8, 2008

कैसा हो गर्मियों में आपका आहार ?

हमारे शरीर और स्वास्थ्य पर आहार-विहार के अलावा ऋतु और जलवायु का भी प्रभाव पड़ता है,इसलिए स्वास्थ्य की रक्षा के लिए ऋतु और जलवायु के अनुकूल आहार-विहार करना अत्यन्त आवश्यक है।
विशेष रूप से ग्रीष्म ऋतु में आहार-विहार पर खास ध्यान देना चाहिए।बिना आहार-विहार का ध्यान रखे ग्रीष्म ऋतु का सही आनंद नहीं उठाया जा सकता, क्योंकि आहार-विहार के असंतुलन से व्याधि ग्रस्त होने की आशंकाएं बढ़ जाती है.इसलिए गर्मियों में इन बातों का खासतौर से ध्यान रखें:-

  • गर्मियों में इस बात का सदैव ध्यान रखें की आपके शरीर में पानी की कमी न होने पाएं,इसके लिए थोड़े-थोड़े अंतराल पर शीतल जल अवश्य ग्रहण करें।दिन भर में १०-१२ गिलास पानी जरूर पीना चाहिए.
  • आहार में सुपाच्य,ताजे ,हल्के,रसीले और सादे पदार्थों का ही सेवन करना चाहिए।तले हुए,खट्टे,तेज मिर्च व मसालेदार,भारी और गर्म प्रकृति के पदार्थों का सेवन यदा-कदा और कम मात्रा मे ही करना चाहिए. यदिइनका सेवन न करें तो और भी अच्छा रहेगा।
  • इस ऋतु में भूख सहन करना यानि देर से भोजन करना शरीर में दुर्बलता और कमजोरी लाने वाला होता है,इसलिए निश्चित समय पर अच्छी तरह चबा-चबाकर ही भोजन करना चहिये।
  • गर्मी के मौसमी फलों जैसे तरबूज,खरबूजा,खीरा,ककडी,फालसा,संतरा,अंगूर तथा लीची आदि का सेवन अवश्यकरें,ये फल शरीर को तरावट और शीतलता पहुँचाने में मददगार होंगे।
  • नींबू की मीठी सिकंजी,कच्चे आम का पना,दूध-पानी की मीठी लस्सी,पतला सत्तू,फलों का जूस,ग्लूकोज तथाशरबत तरावट के लिए जरूर पियें।बेल का शरबत तथा ठंडाई आदि के सेवन से भी गर्मी में राहत मिलती है.
  • सेहत की दृष्टि से सेब,बेल और आवले का मुरब्बा,गुलकंद,आगरे का पेठा खाना लाभप्रद सिद्ध होता है।
  • घर में पुदीन हरा,ग्लूकोज,इलेक्ट्रोल आदि जरूर रखे।दस्त आदि की दवाएं तथा फर्स्ट एड बॉक्स रखना भीजरूरी है.
  • इस ऋतु में लोग सुबह देर तक सोये रहना पसंद करते है,जो शरीर,स्वास्थ्य और चेहरे की सुन्दरता खास करके आंखों के लिए बहुत हानिकारक होता है,इसलिए सुबह देर तक सोये रहना और देर रात तक जागना कदापि उचित नहीं.

Monday, May 5, 2008

जब आप परेशान हों

  • यदि आप पेट दर्द से परेशान हों तो आधा चम्मच जीरा और एक चम्मच चीनी धीरे-धीरे चबाये राहत मिलेगी।
  • यदि आपको भूख कम लगती हों तो प्याज के रस में करेले का रस मिलाकर नियमित रूप से सेवन करें।
  • यदि आप गठिया रोग से ग्रस्त हैं तो लहसुन के रस में कपूर मिलाकर मालिश करें,आराम मिलेगा।
  • यदि आपको कब्ज की शिकायत हो तो पका पपीता खूब खाएं,कच्चे पपीते की सब्जी बनाकर खाना भी लाभदायक होता है।
  • प्रतिदिन प्रात: तुलसी की ५-६ पत्तियों का सेवन करें,इसके अनेक लाभ होते हैं,याददास्त बढ़ती है।
  • सोयाबीन की अधिक मात्रा मे सेवन बालों के लिए अत्यन्त फायदेमंद है,क्योंकि इसमें प्रोटीन भरपूर मात्रा में पाया जाता है,और प्रोटीन बालों के लिए काफी लाभदायक है।
  • यदि आपके मुंह में छाले हो गए हों तो पानी में फिटकरी मिलाकर कुल्ला करें।
  • रात को पानी में भिगोए त्रिफला चूर्ण से सुबह उठकर आंखों को धोने से आंखों की रोशनी बढ़ती है।
  • आधा चम्मच अदरक का रस और चम्मच शहद चाटने से खांसी में आराम मिलाता है।
  • दाद, खाज-खुजली और फुंसी होने पर संतरे का रस पीने और ताजे छिलकों को त्वचा पर रगड़ने से लाभ होता है.

Sunday, May 4, 2008

बेल:आरोग्य का खजाना

ग्रीष्म ऋतु में बेल के फल का महत्वपूर्ण स्थान है।अनेक व्यक्ति गर्मियों में नियमित रूप से इसके रस का सेवन करते हैं.
  • कलमी,सुपक्व,मधुर बेल के गूदे को सुबह मिट्टी के बर्तन में रखकर पानी डाल दिया जाता है।तीन-चारघंटे में पानी बहुत ठंडा हो जाता है.पानी में बेल के गुदे की मिठास,रंग,स्वाद और सुगंध का पूरा प्रभाव उतर जाता है.इस पानी का सेवन स्वास्थ्यवर्धक है.
  • साधारण आहार के अलावा बेल के गुदे में एक विशेष धातु के गुण होते हैं।
  • छाल और पत्तों के रस का जहाँ औषधियों में प्रयोग होता है,वहीं कच्चे फल के गुदे का अग्नि और मिटटी के साथ अथवा सूखे गूदे को कांजी के मिश्रण के मध्य रूप में प्रयोग किया जाता है।
  • बेल के वृक्ष के मुख्य अवयव जड़ के निकट की छाल काप्रसिद्ध मिश्रण "वशमूल" में उपयोग किया जाता है।
  • बेल के जड़ की छाल त्रिदोषनाशक (वात-पित्त-कफ),मीठी व हल्की होती है।बेल भारी,मल को बांधने वाला तथा पेट कीअग्नि को तीव्र करने वाला होता है.पका फल भारी,मीठा,तीखा,गर्मी बढाने वाला तथा त्रिदोषनाशक होता है.
  • कच्चे बेल की सूखी गिरी को कांजी में भिगोकर सेवन करने से चेहरे पर तेज आता है और दिल की बीमारियों में भी फायदा होता है।
  • तेज बुखार में बेल के पत्तों को पीसकर सिर पर लेप करना फायदेमंद होता है।
  • बुखार तथा साँस के रोगको नियंत्रित करने के लिए बेल के जड़ की छाल का काढा पिलाना लाभप्रद होता है।
  • तेज बुखार को कम करने के लिए बेलपत्र का काढा या बेलपत्र को पानी के साथ देना हितकर होता है.
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