Sunday, September 21, 2008

घर का डॉक्टर:- चोकर (दिलाए रोगों से मुक्ति)

सामान्यतः गेहूं का आटा छानने के बाद जो चोकर निकलता है,उसे व्यर्थ समझकर फेंक दिया जाता है,जबकि चोकर व्यर्थ नहीं बल्कि पौष्टिक तत्वों से भरपूर होने के कारण प्रयोग करने योग्य होता है.कब्ज दूर करने,पाचन शक्ति ठीक रखने और नेत्रज्योति बढ़ाने के लिए चोकर का सेवन करना अत्यन्त लाभदायक होता है. चोकर के प्रयोग से बिना दवाइयों के ही अनेक व्याधियों से छुटकारा पाया जा सकता है.

गेहूं के चोकर के विविध प्रयोग:-

  • चोकर की रोटी :-गेहूं के प्रति किलो आटे में १०० ग्राम चोकर मिला लें और इस आटे की रोटी बनाकर खाएं. इससे अपच,कब्ज और उदर विकारों से छुटकारा मिलता है.
  • चोकर का दलिया :-चोकर को शुद्ध घी में भूनकर रख लें.आवश्यक मात्रा में चोकर लेकर पानी में डालकर उबालें.मीठा बनाने के लिए उबलते समय उचित मात्रा में गुड मसलकर डाल दें और नीचे उतारकर घोलते हुए चिरोंजी, किशमिश, कटे हुए छुहारे डाल दें. अति स्वादिष्ट ,सुपाच्य, लाभकारी और साथ ही पौष्टिक चोकर का दलिया तैयार है.
  • चोकर की चाय :- ५ कप पानी में २५ ग्राम चोकर लेकर तुलसी के १०-११ पत्ते और मुनक्का के १०-११ दाने डालकर अच्छी तरह से उबालें.मीठा करने के लिए इसमें शक्कर डाल दें.यह चाय भूख मारने और नींद उडाने वाली नहीं बल्कि शारीरिक विकारों को दूर कर विटामिन बी प्रदान कर शरीर को स्फूर्ति व शक्ति देने वाली है.
  • चोकर का उबटन :- जितना चोकर लें उससे दुगुने पानी में चोकर को भिगोकर एक घंटे तक रखा रहने दें.स्नान से पहले इस चोकर को पूरे शरीर पर लगाकर खूब मसलें और स्नान कर लें.आपकी त्वचा रेशम सी चिकनी,चमकदार और मुलायम हो जायेगी.

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Sunday, August 31, 2008

विलक्षणताओं से भरा मानव शरीर

हमारे शरीर का ५० प्रतिशत भाग मांसपेशियों के रूप में है।प्रत्येक मांसपेशी अनेक तन्तुओं से मिलकर बनी है.ये तंतु बाल के समान पतले होते हैं पर मजबूत इतने की अपने वजन की तुलना में एक लाख गुना वजन उठा सकें.
औसतन मनुष्य के सिर में १२०००० बाल होते हैं।बालों की वृद्धि प्रतिमास तीन चौथाई इंच होती है.किसी के बाल तेजी से तो किसी के धीमी गति से बढ़ते हैं.
मनुष्य के बालों की आयु १।५ वर्ष से लेकर ६ वर्ष तक होती है. आयु पूरी करके बाल अपनी जड़ से टूट जाता है और उसके स्थान पर नया बाल उगता है.
हमारी एक वर्ग त्वचा में प्रायः ७२ फुट लम्बी तंत्रिकाओं का जाल बिछा होता है।इतनी ही जगह में रक्त नलिकाओं की लम्बाई नापी जाए तो वे भी १२ फुट से कम नहीं होंगी.
हमारे गुर्दे में १० लाख से भी अधिक नलिकाएं होती है।इन सबको एक लम्बी कतार में रखा जाए तो ११० किलोमीटर लम्बी डोरी बन जायेगी.
चमडी की सतह पर प्रायः दो लाख स्वेद ग्रन्थियां होती है,जिनमें से पसीने के रूप में हानिकारक पदार्थ बहार निकलते रहते है।पसीना दिखता तो तब है,जब वह बूंदों के रूप में बाहर आता है,लेकिन वह धीरे-धीरे हमेशा ही रिसते रहता है.
मनुष्य की दाढ़ी में औसतन ७५०० से १५००० बाल होते हैं तथा भौहों में लगभग ५५० बाल होते हैं।
एक वर्ष में हम एक करोड़ (१० मिलियन) बार साँस लेते है।
हमारे शरीर की सबसे कठोर हड्डी जबड़े की तथा मजबूत मांसपेशी जीभ की मानी जाती है।
हमारे गुर्दे एक घंटे में इतना रक्त छानते है,जिसका वजन शरीर के भार से दुगुना होता है.



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Sunday, July 27, 2008

क्यों चटकती है हड्डियाँ?

कसरत करने के दौरान या अंगडाई लेते समय कई बार हड्डियों के जोड़ों के चटकने की आवाज आती है.इसके अलावा कुछ लोगों को उँगलियाँ चटकाने की भी आदत होती है.आइये जाने हड्डियों के चटकने पर आवाज क्यों आती है.
दरअसल हड्डियों के जोड़ों के चटकने के दो अलग-अलग कारण हैं.जब उँगलियाँ चटकाई जाती है,तब वे लगभग अपनी सीमा तक मोड़ दी जाती है.उँगलियों के जोड़ के आसपास द्रव पदार्थ भरा होता है,जिसमें वायु मिश्रित होती है.जब हम जाने-अनजाने में उँगलियाँ चटकाते हैं तो यह वायु बुलबुलों के रूप में द्रव पदार्थ से अलग होती है.इन्ही बुलबुलों के कारण आवाज पैदा होती है,जिसे हम उँगलियाँ चटकना कहते हैं.जब तक यह वायु दोबारा द्रव पदार्थ में घुलमिल नहीं जाती ,तब तक फ़िर से उँगलियाँ चटकाने पर यह आवाज नहीं आ सकती.
दूसरी ओर शरीर को ऐंठने,मोड़ने या अंगडाई लेने से हड्डियों के चटकने की आवाज आती है उसका कारण वे ऊतक हैं.जो मांसपेशियों ओर हड्डियों के बीच में रहते हैं.जब इन पर तनाव पड़ता है तो ये अपने स्थान से हट जाते हैं और इसी कारण से आवाज पैदा होती है,जिसे हम हड्डियाँ चटकना कहते हैं.इसकी पुनरावृत्ति का कोई निशिचत समय नहीं होता है.अर्थात कुछ लोगों में यह उसी समय दोबारा भी हो सकता है.कुछ के साथ नहीं भी हो सकता.

Sunday, July 20, 2008

कोई अंग सुन्न क्यों हो जाता है?

हाथ या पैर का सुन्न हो जाना हममें से लगभग सभी ने अनुभव किया होगा.आइये जाने क्यों हो जाते है शरीर के अंग सुन्न.
शरीर का कोई अंग यदि किसी दबाव में ज्यादा समय तक रहता है,तो वह सुन्न हो जाता है.वस्तुतः यह दबाव हाथ या पैर की नसों पर पड़ता है, ये नसें कई एक कोशीय फाइबर से बनी होती है. प्रत्येक एक कोशीय फाइबर अलग-अलग संवेदनाओं को मस्तिष्क तक पहुँचाने का कार्य करता है.इन फाइबरों की मोटाई भी कम-ज्यादा होती है.इसका कारण माइलिन नामक श्वेत रंग के पदार्थ द्वारा बनाई गई झिल्ली है.इन पर दबाव पड़ने से मस्तिस्क तक नसों द्वारा पर्याप्त मात्रा में आक्सीजन और रक्त का संचरण नहीं हो पता है. मस्तिष्क तक उस अंग के बारे में पहुंचने वाली जानकारी रक्त और आक्सीजन के अभाव में अवरूद्ध हो जाती है.इस कारण वहां संवेदना महसूस नहीं हो पाती और वह अंग सुन्न हो जाता है.
जब उस अंग पर से दबाव हट जाता है तब रक्त और आक्सीजन का संचरण नियमित हो जाता है और पुनः उस अंग में संवेदनशीलता लौट आती है.

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Monday, June 30, 2008

शरीर पर पाए जाने वाले तिल (mole) का राज

मनुष्य की त्वचा (skin) का रंग कुछ विशिष्ट प्रकार की कोशिकाओं (cells) पर निर्भर करता है।इनमें एक गाढे रंग का पदार्थ "मेलानिन" पाया जाता है.गोरी त्वचा में ये कोशिकाएं अत्यन्त कम तथा सांवली त्वचा में अधिक होती है.कभी-कभी मेलानिन वाली ये कोशिकाएं एक जगह एकत्रित हो जाती हैं,जिससे काले रंग की एक दानेदार आकृति बनती है,जिसे तिल (mole) कहते है.
त्वचा पर तिल की उपस्थिति को ज्योतिष विज्ञान (astrology) से जोड़ना कोरी कल्पना है।

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Saturday, June 7, 2008

फेस केअर टिप्स (face care tips)



  • बेसन,गुलाब जल और नारियल तेल को मिलाकर त्वचा में लगाने से त्वचा में निखार आता है।

  • मक्खन और हल्दी को मिलाकर चेहरे में लगाने से चेहरे में निखार आता है।

  • लौंग को पिसकर पानी में घोलकर उसे चेहरे पर लगाने से दाग-धब्बे मिट जाते हैं।

  • तुलसी पत्ते के रस में एक चौथाई भाग नींबू का रस मिलाकर लगाने से त्वचा में निखार आता है।

  • मुल्तानी मिट्टी और नीम का रस,दोनों को मिलकर लगाने से चेहरे के कील-मुंहासे मिट जाते हैं और त्वचा निखर जाता है।

Sunday, May 18, 2008

कपूर:रोग भगाए दूर

कपूर एक बहुउपयोगी पदार्थ है।इसका उपयोग पूजन में अग्नि प्रज्वलित करने के लिए किया जाताहै,किंतु यह सेहत के लिए भी अत्यन्त लाभकारी है.
घरेलू औषधि के रूप में कपूर अनेक प्रकार से प्रयोग किया जाता है:-

  • कपूर को सरसों के तेल में मिलाकर कुछ देर धूप में रख दें।थोडी देर बाद यह तेल शरीर पर मलें,मांसपेशियों का दर्द,गठिया में आराम मिलता है.
  • दाद,खुजली,फोड़ा-फुंसी आदि पर कपूर का अर्क लगाने से लाभ होता है।
  • जुकाम,तेज खांसी,मूर्छा,क्षय आदि रोग हों तो कपूर सून्घायें।
  • श्वास रोग में बलगम निकालने के लिए कपूर का उपयोग किया जाता है।
  • कपूर को टूथपेस्ट और दंत मंजन में भी मिलाया जाता है.

Friday, May 9, 2008

नीम:आरोग्य का खजाना

नीम अत्यन्त उपयोगी वृक्ष है। यह जड़ से लेकर फूल-पत्ती,तने और फल तक सभी औषधीय गुणों से परिपूर्ण वृक्ष है.आइये जाने कि किस प्रकार नीम के सभी अंग हमें लाभ पहुँचाते हैं:-
जड़ - नीम की जड़ को पानी में उबालकर पीने से बुखार दूर हो जाता है।
छाल-नीम की छाल पानी में घिसकर फोड़े-फुंसियों पर लगाने से वे ठीक हो जाते हैं।छाल को जलाकर उसकी राख में तुलसी के पत्तों का रस मिलाकर लगाने से दाग तथा अन्य चर्म रोग ठीकहोते हैं।इसमें दोगुना पिसा सेंधा नमक मिलाकर मंजन करने से पायरिया,दांत-दाढ़ का दर्द आदि दूर हो जाता है.
पत्तियां-नीम की कोमल नई कोपलों को दस-पन्द्रह दिन तक रोज चबाकर खाने से रक्त शुद्ध होता है।फोड़े-फुंसी आदि चर्म विकार नहीं होते.
दातुन-इससे मसुडे मजबूत बनते हैं तथा मुंह से दुर्गंध आना बंद हो जाता है।
फूल-नीम का फूल तथा निबोरियाँ खाने से पेट के रोग नहीं होते।
निबोरियाँ-निबोरी नीम का फल होता है.इससे तेल निकला जाता है.आग से जले घाव में इसका तेल लगाने से घाव बहुत जल्दी भर जाता है.

Thursday, May 8, 2008

कैसा हो गर्मियों में आपका आहार ?

हमारे शरीर और स्वास्थ्य पर आहार-विहार के अलावा ऋतु और जलवायु का भी प्रभाव पड़ता है,इसलिए स्वास्थ्य की रक्षा के लिए ऋतु और जलवायु के अनुकूल आहार-विहार करना अत्यन्त आवश्यक है।
विशेष रूप से ग्रीष्म ऋतु में आहार-विहार पर खास ध्यान देना चाहिए।बिना आहार-विहार का ध्यान रखे ग्रीष्म ऋतु का सही आनंद नहीं उठाया जा सकता, क्योंकि आहार-विहार के असंतुलन से व्याधि ग्रस्त होने की आशंकाएं बढ़ जाती है.इसलिए गर्मियों में इन बातों का खासतौर से ध्यान रखें:-

  • गर्मियों में इस बात का सदैव ध्यान रखें की आपके शरीर में पानी की कमी न होने पाएं,इसके लिए थोड़े-थोड़े अंतराल पर शीतल जल अवश्य ग्रहण करें।दिन भर में १०-१२ गिलास पानी जरूर पीना चाहिए.
  • आहार में सुपाच्य,ताजे ,हल्के,रसीले और सादे पदार्थों का ही सेवन करना चाहिए।तले हुए,खट्टे,तेज मिर्च व मसालेदार,भारी और गर्म प्रकृति के पदार्थों का सेवन यदा-कदा और कम मात्रा मे ही करना चाहिए. यदिइनका सेवन न करें तो और भी अच्छा रहेगा।
  • इस ऋतु में भूख सहन करना यानि देर से भोजन करना शरीर में दुर्बलता और कमजोरी लाने वाला होता है,इसलिए निश्चित समय पर अच्छी तरह चबा-चबाकर ही भोजन करना चहिये।
  • गर्मी के मौसमी फलों जैसे तरबूज,खरबूजा,खीरा,ककडी,फालसा,संतरा,अंगूर तथा लीची आदि का सेवन अवश्यकरें,ये फल शरीर को तरावट और शीतलता पहुँचाने में मददगार होंगे।
  • नींबू की मीठी सिकंजी,कच्चे आम का पना,दूध-पानी की मीठी लस्सी,पतला सत्तू,फलों का जूस,ग्लूकोज तथाशरबत तरावट के लिए जरूर पियें।बेल का शरबत तथा ठंडाई आदि के सेवन से भी गर्मी में राहत मिलती है.
  • सेहत की दृष्टि से सेब,बेल और आवले का मुरब्बा,गुलकंद,आगरे का पेठा खाना लाभप्रद सिद्ध होता है।
  • घर में पुदीन हरा,ग्लूकोज,इलेक्ट्रोल आदि जरूर रखे।दस्त आदि की दवाएं तथा फर्स्ट एड बॉक्स रखना भीजरूरी है.
  • इस ऋतु में लोग सुबह देर तक सोये रहना पसंद करते है,जो शरीर,स्वास्थ्य और चेहरे की सुन्दरता खास करके आंखों के लिए बहुत हानिकारक होता है,इसलिए सुबह देर तक सोये रहना और देर रात तक जागना कदापि उचित नहीं.

Monday, May 5, 2008

जब आप परेशान हों

  • यदि आप पेट दर्द से परेशान हों तो आधा चम्मच जीरा और एक चम्मच चीनी धीरे-धीरे चबाये राहत मिलेगी।
  • यदि आपको भूख कम लगती हों तो प्याज के रस में करेले का रस मिलाकर नियमित रूप से सेवन करें।
  • यदि आप गठिया रोग से ग्रस्त हैं तो लहसुन के रस में कपूर मिलाकर मालिश करें,आराम मिलेगा।
  • यदि आपको कब्ज की शिकायत हो तो पका पपीता खूब खाएं,कच्चे पपीते की सब्जी बनाकर खाना भी लाभदायक होता है।
  • प्रतिदिन प्रात: तुलसी की ५-६ पत्तियों का सेवन करें,इसके अनेक लाभ होते हैं,याददास्त बढ़ती है।
  • सोयाबीन की अधिक मात्रा मे सेवन बालों के लिए अत्यन्त फायदेमंद है,क्योंकि इसमें प्रोटीन भरपूर मात्रा में पाया जाता है,और प्रोटीन बालों के लिए काफी लाभदायक है।
  • यदि आपके मुंह में छाले हो गए हों तो पानी में फिटकरी मिलाकर कुल्ला करें।
  • रात को पानी में भिगोए त्रिफला चूर्ण से सुबह उठकर आंखों को धोने से आंखों की रोशनी बढ़ती है।
  • आधा चम्मच अदरक का रस और चम्मच शहद चाटने से खांसी में आराम मिलाता है।
  • दाद, खाज-खुजली और फुंसी होने पर संतरे का रस पीने और ताजे छिलकों को त्वचा पर रगड़ने से लाभ होता है.

Sunday, May 4, 2008

बेल:आरोग्य का खजाना

ग्रीष्म ऋतु में बेल के फल का महत्वपूर्ण स्थान है।अनेक व्यक्ति गर्मियों में नियमित रूप से इसके रस का सेवन करते हैं.
  • कलमी,सुपक्व,मधुर बेल के गूदे को सुबह मिट्टी के बर्तन में रखकर पानी डाल दिया जाता है।तीन-चारघंटे में पानी बहुत ठंडा हो जाता है.पानी में बेल के गुदे की मिठास,रंग,स्वाद और सुगंध का पूरा प्रभाव उतर जाता है.इस पानी का सेवन स्वास्थ्यवर्धक है.
  • साधारण आहार के अलावा बेल के गुदे में एक विशेष धातु के गुण होते हैं।
  • छाल और पत्तों के रस का जहाँ औषधियों में प्रयोग होता है,वहीं कच्चे फल के गुदे का अग्नि और मिटटी के साथ अथवा सूखे गूदे को कांजी के मिश्रण के मध्य रूप में प्रयोग किया जाता है।
  • बेल के वृक्ष के मुख्य अवयव जड़ के निकट की छाल काप्रसिद्ध मिश्रण "वशमूल" में उपयोग किया जाता है।
  • बेल के जड़ की छाल त्रिदोषनाशक (वात-पित्त-कफ),मीठी व हल्की होती है।बेल भारी,मल को बांधने वाला तथा पेट कीअग्नि को तीव्र करने वाला होता है.पका फल भारी,मीठा,तीखा,गर्मी बढाने वाला तथा त्रिदोषनाशक होता है.
  • कच्चे बेल की सूखी गिरी को कांजी में भिगोकर सेवन करने से चेहरे पर तेज आता है और दिल की बीमारियों में भी फायदा होता है।
  • तेज बुखार में बेल के पत्तों को पीसकर सिर पर लेप करना फायदेमंद होता है।
  • बुखार तथा साँस के रोगको नियंत्रित करने के लिए बेल के जड़ की छाल का काढा पिलाना लाभप्रद होता है।
  • तेज बुखार को कम करने के लिए बेलपत्र का काढा या बेलपत्र को पानी के साथ देना हितकर होता है.

Tuesday, April 29, 2008

ऐसे पाएं गर्मी से निजात



भले ही गर्मी अपने चरमोत्कर्ष पर है,पर ऐसे में घर पर भी तो बैठा नहीं जा सकता।नौकरी,कैरिअर, सामाजिकसम्पर्क आदि कायम रखने बाहर तो निकलना ही पड़ता है। गर्मी से सुरक्षित रहते हुए बाहर आने-जाने के बारे में सुझाव प्रस्तुत है:-

  • गर्मी के रोगों से बचने के लिए प्रतिदिन सुबह मुंह धोने के बाद एक गिलास नींबू पानी पी लें।चेहरेकी चमक बनी रहे इसके लिए दिन भर में १०-१५ गिलास पानी जरुर पियें.शरीर में पानी की कमी बिल्कुल न होने दें.
  • इस ऋतु के फल शरीर के लिए वरदान हैं।दूध,आम व सेब का रस अतिरिक्त लाभ पहुँचाता है.जलजिरा,कच्चे आम का पना व रस,प्याज,मट्ठा व दही शीतलता देने के साथ-साथ लू से भी बचाते हैं.
  • नशीले पदार्थ गर्मी को और अधिक बढाते हैं।सिगरेट,शराब,चाय,काफी,मसालेदार तली-भुनी चीजों की जगह हरी सब्जियां व फलों पर अधिक ध्यान दें.
  • सप्ताह में एक बार मालिश अवश्य करें।जैतून या नारियल के तेल का प्रयोग करें,इससे शरीर लचीला व कोमल बना रहेगा.सुबह जल्दी ही ठंडे पानी से नहाये और शाम को भी नहाये,इससे शरीर में चुस्ती बनी रहेगी.
  • गहरा मेकअप इन दिनों बिल्कुल न करें।एक तो पसीने से यह आपके सौंदर्य को बढ़ाने की अपेक्षाकम कर देगा,दूसरा इससे गर्मी अधिक लगेगी.बिल्कुल हल्का मेकअप सौंदर्य को निखारेगा.
  • ठंड से गरम व गरम से एकदम ठंडे वातावरण मे न जायें,इससे लू लगने की सम्भावना बढ़ जाती है।बाहर निकलते समय शरीर को ढककर निकलें व नंगे पैर बिल्कुल न निकलें.
  • सूरज की तेज रोशनी सीधे आंखों को प्रभावित करती है.आंखों के बचाव के लिए जब भी धुप में निकलें चश्मा अवश्य लगाएं.

Sunday, April 27, 2008

औषधीय गुणों से भरपूर है बर्फ

गर्मियों में ठंडी-ठंडी बर्फ विशेष रूप से अच्छी लगती है,क्योंकि इससे शीतलता व तृप्ति प्राप्त होती है।बर्फ को खाने -पीने के लिए ही नहीं वरन औषधि के रूप में भी प्रयोग किया जाता है.चिकित्सा के रूप में बर्फ अत्यन्त उपयोगी सिद्ध हुई है.
प्रस्तुत है बर्फ के द्वारा घरेलू उपचार करने के कुछ तरीके:-
  • शरीर के किसी भाग से खून बह रहा हो तो उस स्थान पर बर्फ लगाने से खून आना बंद हो जाता है।
  • हाथ या पैर में मोच आ गई हो तो बर्फ का टुकडा १० मिनट तक रगड़ने से सूजन नहीं आती।
  • लू लगने की स्थिति में बर्फ के टुकड़े हाथ-पैरों पर मलने से काफी आराम मिलता है।
  • अधिक गर्मी की वजह से कई बार नाक से खून बहने लगता है,इसके लिए बर्फ का छोटा टुकडासूंघने से खून आना बंद हो जाता है।
  • प्रतिदिन चेहरे पर बर्फ रगड़ने से झुर्रियां नहीं पडती और चेहरा खिला-खिला रहता है।
  • गर्मी के मौसम में अधिक खा लेने पर आइसक्रीम या बर्फ खा ली जाय तो खाना जल्दी पच जाता है।
  • तेज बुखार होने पर माथे पर बर्फ के पानी की पट्टी रखने से और शरीर पर बर्फ मलने से बुखार शीघ्रउतरने लगता है।
  • भूख न लग रही हो तो खाना खाने के आधा घंटा पहले बर्फ का पानी पियें,इससे भूख बढ़ती है।
  • पेट में जलन,उलटी,दस्त आदि में बर्फ का पानी पीने या पेट पर बर्फ रगड़ने से जलन आदि में राहत मिलती है.

Saturday, April 26, 2008

...और थकान हो जाए छू मंतर

रोजमर्रा की भाग-दौड़ भरी जिन्दगी से व्यक्ति को जैसे ही फुर्सत मिलती है,वह तुरंत लेटने व आराम करने की सोचता है,लेकिन थकान फ़िर भी चढ़ी रहती है तथा शरीर में भारीपन आ जाता है।इसके अलावा भावनात्मक व मनोवैज्ञानिक समस्याओं से उपजा तनाव भी शरीर को बुरी तरह थका देता है।तनाव में शरीर के अन्दर'लड़ो या मरो' की स्थिति से निपटने में उर्जा खर्च होती है. यदि तनाव की स्थिति दीर्घकाल तक बनी रहे तो उर्जा का अत्यधिक ह्रास होता है और थकान बढ़ती ही जाती है.
थकान पर विजय कैसे?
यदि कार्य को सुव्यवस्थित एवं सुनियोजित ढंग से किया जाए,तो अनावश्यक तनाव एवं थकान से बचा जा सकता है।रूचिकर कार्य करने से भी थकान महसूस नही होती और एक साथ देर तक कार्य किया जा सकता है.अतः थकान से बचने के लिए कार्य में रुचि का समावेश आवश्यक है.
अल्पकालीन विश्राम के अलावा पूर्ण विश्राम का अचूक उपाय है नींद,जो थके-हरे व्यक्ति के लिए टॉनिक का काम करती है।कम नींद लेने से सुस्ती आती है,जो आपको चिडचिडा बना देती है व काम में मन नही लगता है.
शरीर में स्फूर्ति लाने व मन को प्रशन्न करने के लिए खुली जगह में व्यायाम करें ताकि शुद्ध हवा व खुले प्राकृतिक वातावरण से आलस्य व थकान दूर हो।ऐसा करने से रक्त में 'अंदाफिंस' की मात्रा बढ़ती है.
थकान दूर करने के लिए आवश्यक है आप तनावमुक्त रहें,चूकि तनाव जहाँ दिमाग को कमजोर करता है,वहीं शरीर की शक्ति को घटाकर थकावट पैदा करता है।
कार्य की एकरसता भी थकान का कारण बनती है।ऐसे में कार्य में परिवर्तन करने से थकान दूर हो जाती है.
भोजन में फल व हरी सब्जियां अधिक मात्रा में लें।मांस,अंडे व अल्कोहल का सेवन न करें.यथासंभव विटामिन'बी',मैग्नीशियम,पोटेशियम और लौह खनिज युक्त भोजन करें.
आहार नियत समय पर उचित मात्रा में ही लें अन्यथा पाचन तन्त्र पर बोझ डालने से वह थकन को बढाता ही है।
थकान को मामूली समझकर नजर अंदाज न करें क्योंकि प्रायः आराम और नींद के बाद भी तन-मन में हल्कापन वताजगी यदि आप महसूस नहीं कर रहें हैं तो सतर्क हो जाइये,क्योकि यह किसी रोग जैसे अनीमिया,थैरोइड ,मधुमेह,टी.बी. या अन्य किसी गम्भीर रोग के लक्षण हो सकते है.

Tuesday, March 25, 2008

" ह्रदय रोगों का कसता शिकंजा "

वर्तमान आक्रामक प्रतिस्पर्धात्मक जीवन पद्धति ने भौतिक सुख-सुविधाओं में अतिशय वृद्धि की है,परन्तु साथ ही मनुष्य की मानसिक-शान्ति एवम शारीरिक-स्वास्थ्य को भी बुरी तरह नष्ट कर दिया है।ह्रदय रोगों की बढ़ती संख्या इसी की देन है.नवीनतम वैज्ञानिक सर्वेक्षण के अनुसार विश्व जनसंख्या की लगभग २५%आबादी इसकी चपेट मे है.सामान्य रूप से संकट के समय परिस्थिति से निपटने के लिए प्रकृति स्वयं ही हमारा रक्तचाप बढा देती है,और यह बढा हुआ रक्तचाप स्थिति सामान्य हो जाने पर स्वतः ही सामान्य हो जाता है.परन्तु वर्तमान में क्रोध,भय,तनाव,चिंता व अश्न्तुष्टि के जाल मे उलझे-फसें व्यक्ति में संकट से लड़ने की क्षमता ही समाप्त होती जा रही है और इसके फलस्वरूप ह्रदय रोगों की संख्या भी बढ़ती जा रही है.

कृत्रिम-अप्राकृतिक जीवन शैली,असयमित खान-पान और आहार-विहार से रक्त मे विकार बढ़ते चले जा रहे हैं।निजी,घरेलुऔर कार्यक्षेत्र की समस्याओं से मन-मस्तिस्क मे यदि चिंता व तनाव बना रहता है तो इससे भी रक्त मे विकार उत्पन्न होते रहते है.विकारयुक्त रक्त से धमनियाँ संकरी व कड़ी हो जाती हैं और रक्त-संचरण मे अवरोध आता है.ब्लड-प्रेशर का रोग शरीर की दूषित अवस्था से आरम्भ होता है और कभी-कभी यह इतना गंभीर रूप ले लेता है की रोगी के लिए जानलेवा सिद्ध होता है.

उच्च रक्तचाप के अनेक कारणों मे शरीर में नमक की अधिकता एक मुख्य कारण है।जब लगे की रक्तचाप सामान्य से बढ़ रहा है ,तो समझना चाहिए की शरीर जरूरत से ज्यादा नमक ग्रहण कर रहा है.कभी-कभी यह बीमारी आनुवांशिक भी होता है.इसके अलावा गुर्दे की खराबी,शरीर में हार्मोन असंतुलन,लम्बे समय तक गर्भ-निरोधक गोलियों का सेवन,गर्भावस्था,परिस्थितियों का तनाव,विपरीत मनोदशा और आवश्यक आराम का अभाव आदि ऐसे अनेक कारण हो सकते हैं जो ह्रदय रोगों तथा उच्च रक्तचाप को जन्म देते हैं.चाय काफी और नशीले पदार्थों का अधिक सेवन भी रक्तचाप को बढ़ता है.मोटापा भी उच्च रक्तचाप का एक बहुत बडा कारण है.

उच्च रक्तचाप से व्यक्ति को सिर दर्द,चक्कर आना,,तनाव,मुंह लाल होना,धमनियों मे रूकावट,साँस फूलना तथा दिमाग की नस फटना,आंखों का कमजोर होना,किडनी पर दुस्प्रभाव जैसे घातक लक्षण प्रकट होते हैं।उच्च रक्तचाप से ह्रदय की मांसपेशियों में स्थायी रूप से दोष पैदा हो जाते हैं जिससे पम्पिंग क्रिया प्रभावित होकर 'हार्ट अटैक' हो सकता है.

उच्च रक्तचाप न हो इसके लिए सबसे जरूरी है खानपान और आहार-विहार में संयम।,प्रात काल उठकर टहलना,थोडी देर व्यायाम-आसन करना भी इसके लिए अत्यन्त लाभदायक है.उच्च रक्तचाप से पीड़ित लोगों को नमक रहित संतुलित आहार लेना चाहिए.चिकने व प्रोटीन युक्त पदार्थों का सेवन कम करना चाहिए.चाय,काफी और नशीले पदार्थों का सेवन पूरी तरह बंद करना ही हितकर है.

इसके अतिरिक्त चिंता,तनाव,ईर्ष्या,द्वेष,झूठ आदि मनोविकारों से बचने का प्रयास करना चाहिए.सबसे अधिक महत्वपूर्ण तथ्य यह है की अपनी कमजोरियों से हम बीमारियों को स्वयं आमंत्रित करते है.अनियमित जीवन शैली ने ही हमें बीमारियों से घेर रखा है. यदि हम पुनः प्रकृति के अनुशासन मे रहकर जीना सिख सकें,तो स्वस्थ रहना कोई असम्भव कार्य नहीं है.

Sunday, March 23, 2008

तरोताजा महकती सांसों के लिए

क्या आपके मित्र आपके पास बैठने से कतराते हैं? लोग नाक पर रूमाल रखकर आपसे बातचीत करते हैं।तो लोगों के इस व्यवहार को चेतावनी समझें। अवश्य ही आपके मुंह से आती दुर्गन्ध इसका कारण है।आप चाहे तो इससे छुटकारा पा सकते हैं-
मुंह की नियमित सफाई करें:- दोनों वक्त के भोजन के बाद कम से कम ११ बार पानी से कुल्ले व गरारे करें ताकि दांतों और गले में अन्न कण और चिकनाई बाकी न बचे। दांतों और मसूडों मे चिपका भोजन का अंश बैक्टीरिया पनपने का कारण हो सकता है।
जीभ की सफाई पर ध्यान दें:- भोजन करते समय अधिकांश हिस्सा चबाने की प्रक्रिया से पेट में चला जाता है,पर एक हल्की सी परत जीभ पर चिपक जाती है। इसे नियमित रूप से साफ करना आवश्यक है.
पेट साफ रखना भी जरूरी:- मुंह के साथ-साथ पेट साफ रखना भी जरूरी है, वरना पेट साफ न रहा तोमुंह भी साफ न रह सकेगा और दुर्गन्ध आएगी. मुंह और मलाशय साफ रखें, कब्ज न रहनेंदें और दुर्गन्ध वाले पदार्थों का सेवन न करें तो मुंह से दुर्गन्ध न आएगी।
दुर्गन्ध नाशक पदार्थों का सेवन करें:- मुख शुद्धि के अलावा सौफ़,मसालेदार व पिपरमेंट युक्त पान,दालचीनी,लौंगआदि पदार्थ मुंह मे रखकर चबाने से मुंह साफ व सुगन्धित रहता है इसलिए कुछ भी खाने या पीने के बाद इन पदार्थों का सेवन किया जाता है.




Friday, January 18, 2008

Tooth Ache

Toothache can be a sign of tooth decay. Only a Dental doctor can find the real cause of the pain. But let's try out some ways at home to control the pain.

Gargle with warm water or warm water mixed with salt, each time after food or after brushing every night.
Apply a little alcohol or
clove oil or nutmeg oil to the effected tooth or area.
When there is pain, take a piece of ice and press it against the skin between your thumb and forefinger.
If you have severe pain, keep a piece of ice inside the mouth between the tooth and the cheeks for 15 minutes. Repeat four times a day.
Have lots of milk and leafy vegetables and calcium. Avoid sweet, sour and cold things which causes tooth decay.
When you have pain , never apply heat on your cheeks. If you are having an infection of the tooth applying heat will aggravate it.
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