Sunday, August 31, 2008

विलक्षणताओं से भरा मानव शरीर

हमारे शरीर का ५० प्रतिशत भाग मांसपेशियों के रूप में है।प्रत्येक मांसपेशी अनेक तन्तुओं से मिलकर बनी है.ये तंतु बाल के समान पतले होते हैं पर मजबूत इतने की अपने वजन की तुलना में एक लाख गुना वजन उठा सकें.
औसतन मनुष्य के सिर में १२०००० बाल होते हैं।बालों की वृद्धि प्रतिमास तीन चौथाई इंच होती है.किसी के बाल तेजी से तो किसी के धीमी गति से बढ़ते हैं.
मनुष्य के बालों की आयु १।५ वर्ष से लेकर ६ वर्ष तक होती है. आयु पूरी करके बाल अपनी जड़ से टूट जाता है और उसके स्थान पर नया बाल उगता है.
हमारी एक वर्ग त्वचा में प्रायः ७२ फुट लम्बी तंत्रिकाओं का जाल बिछा होता है।इतनी ही जगह में रक्त नलिकाओं की लम्बाई नापी जाए तो वे भी १२ फुट से कम नहीं होंगी.
हमारे गुर्दे में १० लाख से भी अधिक नलिकाएं होती है।इन सबको एक लम्बी कतार में रखा जाए तो ११० किलोमीटर लम्बी डोरी बन जायेगी.
चमडी की सतह पर प्रायः दो लाख स्वेद ग्रन्थियां होती है,जिनमें से पसीने के रूप में हानिकारक पदार्थ बहार निकलते रहते है।पसीना दिखता तो तब है,जब वह बूंदों के रूप में बाहर आता है,लेकिन वह धीरे-धीरे हमेशा ही रिसते रहता है.
मनुष्य की दाढ़ी में औसतन ७५०० से १५००० बाल होते हैं तथा भौहों में लगभग ५५० बाल होते हैं।
एक वर्ष में हम एक करोड़ (१० मिलियन) बार साँस लेते है।
हमारे शरीर की सबसे कठोर हड्डी जबड़े की तथा मजबूत मांसपेशी जीभ की मानी जाती है।
हमारे गुर्दे एक घंटे में इतना रक्त छानते है,जिसका वजन शरीर के भार से दुगुना होता है.



चिट्ठाजगत पर सम्बन्धित: शरीर, बाल, त्वचा, गुर्दा, पसीना, रक्त, जीभ, दाढ़ी,

Google