Saturday, April 26, 2008

...और थकान हो जाए छू मंतर

रोजमर्रा की भाग-दौड़ भरी जिन्दगी से व्यक्ति को जैसे ही फुर्सत मिलती है,वह तुरंत लेटने व आराम करने की सोचता है,लेकिन थकान फ़िर भी चढ़ी रहती है तथा शरीर में भारीपन आ जाता है।इसके अलावा भावनात्मक व मनोवैज्ञानिक समस्याओं से उपजा तनाव भी शरीर को बुरी तरह थका देता है।तनाव में शरीर के अन्दर'लड़ो या मरो' की स्थिति से निपटने में उर्जा खर्च होती है. यदि तनाव की स्थिति दीर्घकाल तक बनी रहे तो उर्जा का अत्यधिक ह्रास होता है और थकान बढ़ती ही जाती है.
थकान पर विजय कैसे?
यदि कार्य को सुव्यवस्थित एवं सुनियोजित ढंग से किया जाए,तो अनावश्यक तनाव एवं थकान से बचा जा सकता है।रूचिकर कार्य करने से भी थकान महसूस नही होती और एक साथ देर तक कार्य किया जा सकता है.अतः थकान से बचने के लिए कार्य में रुचि का समावेश आवश्यक है.
अल्पकालीन विश्राम के अलावा पूर्ण विश्राम का अचूक उपाय है नींद,जो थके-हरे व्यक्ति के लिए टॉनिक का काम करती है।कम नींद लेने से सुस्ती आती है,जो आपको चिडचिडा बना देती है व काम में मन नही लगता है.
शरीर में स्फूर्ति लाने व मन को प्रशन्न करने के लिए खुली जगह में व्यायाम करें ताकि शुद्ध हवा व खुले प्राकृतिक वातावरण से आलस्य व थकान दूर हो।ऐसा करने से रक्त में 'अंदाफिंस' की मात्रा बढ़ती है.
थकान दूर करने के लिए आवश्यक है आप तनावमुक्त रहें,चूकि तनाव जहाँ दिमाग को कमजोर करता है,वहीं शरीर की शक्ति को घटाकर थकावट पैदा करता है।
कार्य की एकरसता भी थकान का कारण बनती है।ऐसे में कार्य में परिवर्तन करने से थकान दूर हो जाती है.
भोजन में फल व हरी सब्जियां अधिक मात्रा में लें।मांस,अंडे व अल्कोहल का सेवन न करें.यथासंभव विटामिन'बी',मैग्नीशियम,पोटेशियम और लौह खनिज युक्त भोजन करें.
आहार नियत समय पर उचित मात्रा में ही लें अन्यथा पाचन तन्त्र पर बोझ डालने से वह थकन को बढाता ही है।
थकान को मामूली समझकर नजर अंदाज न करें क्योंकि प्रायः आराम और नींद के बाद भी तन-मन में हल्कापन वताजगी यदि आप महसूस नहीं कर रहें हैं तो सतर्क हो जाइये,क्योकि यह किसी रोग जैसे अनीमिया,थैरोइड ,मधुमेह,टी.बी. या अन्य किसी गम्भीर रोग के लक्षण हो सकते है.

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